anupamaa fame actress Rupali Ganguly Controversy
रुपाली गांगुली पर लगे मीट और बीफ़ खाने के आरोप
11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR से सभी आवारा कुत्तों को हटाने के ऑर्डर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कई बॉलीवुड सेलेब्स ने आपत्ति जताई है। इनमें अनुपमा एक्ट्रेस रुपाली गांगुली भी शामिल हैं, हालांकि एक पोस्ट शेयर करने के बाद उन पर बीफ खाने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिस पर एक्ट्रेस ने सफाई दी हैदरअसल, रुपाली ने एक पोस्ट शेयर कर लिखा था, 'हमारी संस्कृति में कुत्ते भैरव बाबा की मंदिर की रक्षा करते हैं और आशीर्वाद के लिए अमावस्या में उन्हें खाना खिलाया जाता है। वो सड़कों पर बड़े होते हैं, वो दुकानों की रक्षा करते हैं, हमारे दरवाजे के बाहर इंतजार करते हैं, चोरों को भौंककर भगाते हैं। अगर हम उन्हें अभी हटा देंगे, तो जब असल खतरा होगा जैसे फायर अलार्म को बंद करना तो हम अपनी सुरक्षा को खोने का खतरा उठा रहे हैं। उन्हें दूर-दराज के आश्रयों में भेजना दया नहीं, बल्कि निर्वासन है।रुपाली की पोस्ट के जवाब में एक शख्स ने लिखा है, 'जब आप चिकन, मटन, बीफ, मछली वगैरह खाते हैं, तो आप आवारा कुत्तों की वकालत नहीं कर सकते। जानवरों के प्रति प्रेम सभी जानवरों पर लागू होता है। जब आपके घर में उच्च नस्ल के कुत्ते हों, तो आप आवारा कुत्तों की वकालत नहीं कर सकते। और बाकी जो आवारा कुत्तों के लिए बोल रहे हैं, वे रोजाना आश्रय गृह जाएं और उन्हें खाना खिलाएं, उनकी अच्छी देखभाल करें या आप वहा रह भी सकते हैं, कोई आपको रोकेगा नहीं। या फिर पैसे जुटाएं और उनके लिए आश्रय गृह बनाएं या 10 आवारा कुत्तों को गोद लें और दूसरों से भी ऐसा करने को कहें, उन परिवारों से मिलें जिन्होंने रेबीज के कारण अपने प्रियजनों को खो दिया है, नियमित रूप से समाचार देखें और देखें कि रोजाना कितने अकारण कुत्ते काटते हैं, या कम से कम आप अपने परिवार के सदस्यों को रेबीज होने का इंतजार कर सकते हैं। तब आप भौंकेंगे नहीं ,इसके जवाब में रुपाली ने लिखा है, 'मैं रोजाना बेघर जानवरों को खाना खिलाती हूं, मेरे द्वारा खिलाए गए हर जानवर का नियमित रूप से टीकाकरण और नसबंदी की जाती है, मैं पशु आश्रयों और गौशालाओं का समर्थन करती हूं, न केवल अपने शहर में, बल्कि पूरे भारत में, मुझे गर्व है कि मैं शाकाहारी हूं और मैं बेघर फर वाले बच्चों का समर्थन करती हूं, मेरे घर में एक भी उच्च-स्तरीय नस्ल के जानवर नहीं हैं, बल्कि चार भारतीय नस्ल के जानवर हैं, मेरा बच्चा बचपन से ही तथाकथित आवारा जानवरों के साथ रहा है और यहां तक कि एक जानवर, जिसने उसे पहले कभी नहीं जाना था, ने भी उसकी रक्षा की है। वे प्रेम और दया को समझते हैं, जिसे मनुष्य समझने में असमर्थ हैं। यह धरती सभी की है।
बताते चलें कि सोशल मीडिया की ये बहस सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर जारी है, जिसमें कहा गया है कि 8 हफ्तों के अंदर शहर से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम भेजा जाए और उनकी नसबंदी करवाई जाए।