Road Accidents in India

This blog tells you causes of Road accidents in India

Road Accidents in India
Road Accidents in India
Road Accidents in India

हर दिन सुबह हम सड़क पर निकलते हैं , कोई ऑफिस ,कोई कॉलेज, कोई स्कूल, कोई सिर्फ चलने के लिए . लेकिन इनमें से 474 लोग वापिस घर नहीं पहुँच पाते और सबसे शॉकिंग बात ये है की ये deaths किसी वॉर में नहीं हमारे देश की सड़कों पर होती हैं |एक ऐसा साइलेंट मास मर्डर जिसे एक्सीडेंट कह के ignore कर दिया जाता है |ये ब्लोग आप पूरा पढना क्यूंकि आप सभी के पास भी व्हीकल्स हैं और सभी किसी न किसी वजह से बाइक या कार को तेज चलाते हैं | अब फैक्ट्स देखते हैं 2023 में  ऑफिसियल गवर्नमेंट के data के हिसाब से इंडिया में 4 लाख 61 हजार से ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स हुए जिनमें से 1 लाख 61 हजार लोगों की मौत हो गयी |मतलब हर 3 मिनट में 1 एक्सीडेंट हो रहा है |पर ये सिर्फ numbers नहीं हैं ये postmartam है एक ऐसे system का जिसमे आम जनता से लेकर सरकार ने हाथ खड़े कर रखे हैं |रोड एक्सीडेंट्स में 71% केस rash driving और overspeeding के कारण होते हैं और two व्हीलर्स राइडर्स की डेथ 50% से भी ज्यादा है ,और हेलमेट लगाने से हमे परहेज़ हैं , two व्हीलर्स पर सिर्फ 48% लोग ही हेलमेट यूज़ करते हैं और उसमे से भी एक बड़ा हिस्सा सिर्फ चालान के डर से हेलमेट यूज़ करता है वो और उन डरने वालों में से भी एक बड़ा हिस्सा ऐसे हेलमेट का यूज़ करता है जो सिर्फ फैंसी होता है जैसे सिर्फ कैप टाइप अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की हम कितने सीरियस हैं रूल्स और अपनी जान को लेकर | एक और अलग ही scam चल रहा है वो है इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी का , इस पर चलने वाले 99% लोग हेलमेट ही यूज़ नही करते क्यूंकि चालान तो है ही नहीं,और इनको बनाने वाले लोकल कम्पनीज सरकार की नाक के नीचे से इन्हें स्पीड बैरियर के ऊपर बना रही है और बेच रही है और  ना कोई लाइसेंस चाहिए ना हेलमेट , हम पूरे दिन देखते हैं की schools के छोटे छोटे बच्चे इन इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी को कितने गलत तरीके से चलाते हैं और जब एक्सीडेंट होता है तब उनके पेरेंट्स पर क्या बीतती है इसका ख्याल ही नहीं,इसलिए उन पेरेंट्स से तो ये request है की अपने बच्चों पर नजर जरुर रखें|अब आते हैं हमारे सरकारी तंत्र पर इंडिया के 32% हाइवेज डिजाईन डिफेक्टिव हैं,और देश के काफी roads ऐसे हैं जंहा कंही पर तो roads पर लाइट नही है कंही foothpath नहीं हैं,कंही रोड टर्निंग एंगल ही गलत है |जब बारिश आती है तब करोड़ों रुपए के बने हुए हाइवेज,सड़के ऐसे गायब होती हैं जैसे कई बड़े समाज सेवी आज से 14 साल पहले लोक पाल बिल के लिए अनशन पर बैठे थे और 2014 के बाद गायब|ऐसी ही हालत होती है सड़कों की,टेंडर मिलते हैं पैसा रिलीज़ होता है पर roads का मेंटेनेंस temporary पैच से होता है,सेफ्टी ऑडिट करने वाले बाबु लोग खुद कभी ग्राउंड पर नहीं जाते,और जाये भी कैसे बड़े बड़े contactors ने जेब जो भर रखी होती है|रोड एक्सीडेंट्स के कारण मरने वालों में भारत पूरे वर्ल्ड में टॉप करता है |ये सब देख कर लगता है की roads पर हम गाड़ी नही चला रहे बल्कि अपनी किस्मत आजमा रहे हैं |भारत को हर साल सड़क दुर्घटनाओं के कारण GDP के 3% के बराबर आर्थिक नुकसान होता है यानि इंडिया जितना हर साल शिक्षा पर खर्च करती है उतना नुकसान हम अपनी लापरवाही के कारण कर रहे है |पॉलिसीस बनती हैं डिपार्टमेंट बनते हैं पोस्टर लगते हैं ,नेशनल रोड सेफ्टी पालिसी 2010 में बनी,मोटर व्हीकल्स एक्ट को भी 2019 में संशोधित किया गया,नेशनल रोड  सेफ्टी बोर्ड 2021 में बनाया गया,IRAD यानि इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस system | ये सब सुनने में इम्प्रेससिवे लग रहा है लेकिन हकीकत जो है वो रोज देखते हैं |इसका मतलब फाइल्स में सब है लेकिन रोड पर कुछ नहीं है |आपको याद होगा जब 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट आया तब चालान बढ़ गये,हेलमेट न पहनने पर 1000 का फाइन,सीटबेल्ट का भी 1000 का फाइन,जो की अच्छी बात है,हम indians बिना हैवी फाइन के चीजों को सीरियसली नहीं लेते हैं, लेकिन क्या सभी के चालान हो रहे हैं या कुछ सेटिंग से भी एडजस्ट हो रहे हैं |हर साल करोड़ों रुपए का बजट पास होता है नेशनल हाइवेज के लिए ,और उसमे से खर्च कितना होता है नहीं पता,लेकिन ये जरुर अंदाज़ा है की एक बार अगर लोकल सड़कों की हालत जांची जाये तो आधे से ज्यादा सड़के ख़त्म मिलेंगी | कंही तो लोगों ने अपनी मर्जी से ब्रेकर्स बना रखे हैं कंही हैं ही नहीं |आपको जानकर हैरानी होगी की भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highways) कुल सड़क नेटवर्क का लगभग 2% हिस्सा हैं, लेकिन वे कुल सड़क यातायात का लगभग 40% वहन करते हैं। अब आप सोचो की हमे कितना जागरूक होना चाहिए |थोडा और डिटेल्स से जानिए की हो क्या रहा है,इंडिया में जब हम कार्स की ads देखते हैं तब लिखा आता है की india's सफेस्ट कार,बिल्ट लाइक अ टैंक | मतलब हमारे देश में कार कम्पनीज ने सेफ्टी को एक लक्ज़री फीचर बना दिया है जबकि ये तो बेसिक नेसेसिटी होनी चाहिए और हमारे देश में एक कार कंपनी ऐसी है जिसकी गाड़ियाँ साइकिल से टकरा जाये तो गाड़ी ही टूट जाये लेकिन सबसे ज्यादा बिकती है,यही हमारी मानसिकता दिखाता है की हम कितने अवेयर हैं और सरकार क्यों नही लगाम लगती ऐसी कंपनी पर | जब सरकार ने ये कहा की सभी कार्स में बेस मॉडल से ही एयर बैग अनिवार्य हैं तब इन कम्पनीज ने सिर्फ खाना पूर्ति के लिए airbag लगा दिए |आप ये बात समझो की सेफ्टी एक बेसिक need है ना की लक्ज़री और जो कंपनी इस सेफ्टी को महंगा करके बेच रही हैं वो भी बराबर दोषी होनी चाहिए |मतलब ये क्या बात हुई सेफ्टी उसी के लिए है जो afford कर सकता है लेकिन टोल टैक्स रोड टैक्स सभी देंगे |कार में स्ट्रक्चरल  इंटीग्रिटी  का मटेरियल decide करता है की क्रेश में बॉडी survive करेगी या नहीं,इंडिया में 80% बजट कार्स में लो ग्रेड स्टील यूज़ होता है|जो 60 km/h तक का इम्पैक्ट अब्सोर्ब करता है जबकि डेवलप्ड देशों में हाई tensile स्टील यूज़ होता है,आप और ध्यान से देखो तो आपने ads में सुना होगा की LED DRL,बिग टचस्क्रीन,सन रूफ,स्पोर्टी लुक पर किसी ने ad में कब आखरी बार ये सुना था की ड्यूल क्रेश बीम प्रोटेक्शन या reinforced पिलर स्ट्रक्चर |
इनको भी पता है की हम लुक और milegae ही देखते हैं बस |इसलिए डिजाईन भी instagram appeal के लिए बनाती है एक्सीडेंट सर्वाइवल के लिए | मैं ये नहीं कह रहा की सारी गलती सरकार की है हम भी बराबर के दोषी हैं , विशेष तोर पर हमारे रूरल एरिया में , वंहा पर बहुत लोग हेलमेट का यूज़ नहीं करते  और एक अलग ही चलन चला रखा है जो सीट बेल्ट का इन्सर्ट हुक होता है उसमे एक क्लिप टाइप इन्सर्ट कर देते हैं ताकि सीट बेल्ट वार्निंग की आवाज न आये या फिर सीट बेल्ट पीठ के पीछे से लगा देते हैं,अरे भाई किसको धोखा दे रहे हो और आम आदमी इतना मॉडिफाई करवा लेते  है अपने व्हीकल्स को की वो फैंसी के अलावा खतरनाक भी बन जाता है जैसे की हैवी म्यूजिक system जिससे कुछ भी सुनाई ना दे  और ब्लैक फिल्म जिससे कुछ भी दिखाई ना दे  | ट्रैक्टर्स  और ऑटो रिक्शा में भी इतना हैवी म्यूजिक जो खुद के लिए नही बस दिखावे के लिए लगवाया जाता है | क्या इसके लिए कोई कानून नहीं होना चाहिए ?चाहे ट्रेक्टर हो या कार,रूल सबके लिए बराबर होने चाहिए | ऐसा क्यों,की एक लोडिंग व्हीकल वाला थोडा सा भी ओवरलोड हो  तो चालान लेकिन जब एक ट्रेक्टर ट्राली वाला बहुत ज्यादा ओवरलोड और ओवरलोड तो क्या ऑलमोस्ट 3 गुना माल लेके चले तो कोई दिक्कत नही,जबकि गलत तो दोनों हैं |ऐसा ही system हमेरी रोडवेज बस का है इनको ब्रेक या धीरे चलाने का मतलब ही नहीं पता,कहने तो ये बोलते हैं की ये बहुत ही एक्सपर्ट होते हैं लेकिन इनसे ज्यादा नोसिखिया कोई नहीं है , सिटी के अंदर भी इतना तेज़ चलते हैं जैसे आग इनको ही बुझानी है |ये बातें किसी को बुरी लगे तो लगे लेकिन यही सचाई है |और ऑटो वाला का तो इतना बुरा हाल है की इंडीकेटर्स का तो यूज़ ही नहीं करते | कभी कभी तो ऐसा लगता है की सारा system ही corrupt है,पता नहीं कैसे इन लोगों ने लाइसेंस ले लिया,कोई ड्राइविंग टेस्ट दिया भी है या 2 no. से बनवाया है |और कम से कम मेरी नज़र में तो ये जो एक्सीडेंट्स होते हैं उसमे ज्यादातर गलती हम आम पब्लिक की होती है,अगर थोडा सा जाम हो तो सभी इतनी जल्दी करते हैं की जैसे कोई आग लगी हो,आपको एक और example देता हूँ जब आपकी सिटी में रेलवे फाटक बंद हो तब जाके देखना कैसे खड़े होते हैं सभी,मतलब जो जाने का रास्ता है उसके सामने खड़े हो जाते हैं जैसे महाभारत में दोनों सेनाएँ एक दुसरे के सामने खड़ी होती हैं,कोई सिविक सेंस ही नहीं है |काफी सिटीज में ट्रैफिक signals नहीं हैं और हैं तो वो ख़राब है ये system की गलती है और उन signals को तोडना आम पब्लिक की गलती है | भाषण देना और सरकार की गलती निकालना आसान है लेकिन खुद की कमियों के बारे में सुनना हमे अच्छा नहीं लगता,अगली बार सरकार की कमी निकालने से पहले ये भी सोचना की हम कितने जागरूक हैं | एक बाइक पर 3-3 , 4-4 लड़के तेज़ स्पीड में कट मारते हुए जातें है और खुद को कूल समझते हैं लेकिन होते वो फुकरे है | जब तक हम शिक्षा जितना खर्च हमारी लापरवाही पर करते रहेंगे तब तक हम विकाशील भी नहीं बन पाएंगे |इंडिया में होने वाले रोड एक्सीडेंट्स में से 24% एक्सीडेंट्स शराब पीकर चलाने से होते हैं और लगभग 38000 लोग सिर्फ शराब के कारण मर जाते हैं | और इंडिया में रोड एक्सीडेंट्स vicitms में सबसे ignored ग्रुप है पैदल चलने वाले लोग ,इंडिया में 28400 लोग बिना व्हीकल्स को चलाये ही एक्सीडेंट्स में अपनी  जान गंवा देते हैं यानि टोटल deaths का लगभग 17% | 65% अर्बन roads पर फूटपाथ ही मिस्सिंग हैं , वंहा तो दुकाने लगी हैं तो लोग चले कंहा पर ?सड़कों पर आवारा पशु इतने हैं की रात को बहुत सारे एक्सीडेंट्स का कारण बनते हैं,उसके लिए सरकार उचित कदम नहीं उठा रही |अगर हमे आगे बढ़ना है तो हमे इन सब बातों का ध्यान रखना होगा की ब्रेकर्स govt के रूल्स के हिसाब से बने,लोग अपनी मर्जी से U-TURN ना बनाये,आवारा पशुओं को उचित स्थान पर भेजा जाये,schools और कॉलेज से पहले स्पीड ब्रेकर्स और कैमरा जरुर होने चाहिए और police जरुर खड़ी हो ,हैवी चालान हों जिसमे कोई भी सेटिंग न हो सीधा चालान ,जो रोडवेज की बसें हैं उनके लिए भी सख्ती हो ,और ऑटो और ट्रैक्टर्स के लिए भी बराबर के नियम बने चाहे वो ओवरलोडिंग का हो या loudmusic का,ट्रैफिक signals हर सिटी में हों और उनका पालन सख्ती से हो,कार्स मॉडिफिकेशन पर भी हैवी चालान हो ,रियर सीट बेल्ट का भी चालान हो ,क्यूंकि रियर सीट पर बैठा इन्सान भी उतनी ही स्पीड से जा रहा है,जितना आगे वाली सीट पर बैठा इन्सान लेकिन रियर सीट बेल्ट सिर्फ 3 % लोग ही यूज़ करते हैं बाकि सब यमराज से सेटिंग करके आये हैं |अगर आपको इस ब्लोग से कुछ भी प्रभाव पड़ता हो तो ही इसे शेयर करे नहीं तो आपने अपने जीवन के 8/10 मिनट खराब ही की हैं और जब तक आपने ये ब्लोग पूरा पढ़ा है तब तक 1 और इन्सान भारत की सड़कों पर मर चूका है | अपना कीमती वक़्त देने के लिए धन्यवाद | मिलते हैं अगले ब्लोग में |